1248-निकाह और जनाज़ा The difference between a Wedding and a Funeral !
(FARQ SIRF ITNA SA THA)
फर्क सिर्फ इतना सा था
Teri doli uthi,
तेरी डोली उठी
Meri mayyat uthi,
मेरी मय्यत उठी
Phool tujh par bhi barse,
फूल तुझ पर भी बरसे
Phool mujh par bhi barse,
फूल मुझ पर भी बरसे
FARQ SIRF ITNA SA THA
फर्क सिर्फ इतना सा था
Tu saj gayi,
तू सज गयी
Mujhe sajaya gaya.
मुझे सजाया गया
Tu bhi ghar ko chali,
तू भी घर को चली
Main bi ghar ko chala,
मैं भी घर को चला
FARQ SIRF ITNA SA THA
फर्क सिर्फ इतना सा था
Tu uth ke gayi,
तू उठ के गयी
Mujhe uthaya gaya.
मुझे उठाया गया .
Mehfil wahan bhi thi,
महफ़िल वहाँ भी थी
Log yahan bhi the,
लोग यहाँ भी थे
FARQ SIRF ITNA SA THA
फर्क सिर्फ इतना सा था
Unka hasna wahan,
उनका हसना वहाँ
Inka rona yahan.
इनका रोना यहाँ
Qazi udhar bhi tha, Moulvi idhar bhi tha,
क़ाज़ी उधर भी था , मौलवी इधर भी था ,
Do bol tere padhe, Do bol mere padhe,
दो बोल तेरे पढ़े , दो बोल मेरे पढ़े ,
Tera NIKKAH padha, Mera JANAAZA padha,
तेरा निकाह पढ़ा , मेरा जनाज़ा पढ़ा ,
FARQ SIRF ITNA SA THA
फर्क सिर्फ इतना सा था ,
Tujhe APNAYA gaya,
तुझे अपनाया गया ,
Mujhe DAFNAYA gaya
मुझे दफ़नाया गया .
(via Facebook/ Amitab Bachchan)
__________________________________
Labels: Amazing, Humour, Life, satire, Super idea
0 Comments:
Post a Comment
<< Home